पिछले एपिसोड में:
अर्णव ने खुद को बलिदान कर दिया ताकि खेल खत्म हो सके। विराट को लगा कि वह खेल से बाहर आ चुका है, लेकिन जैसे ही उसने राहत की साँस ली, हवा में एक रहस्यमयी आवाज़ गूँजी—
"क्या तुमने सच में सोचा कि यह खत्म हो गया?"
अब सवाल यह था—क्या विराट सच में बच गया है, या यह सिर्फ़ एक नया स्तर है?
अध्याय 1: नया संसार
विराट ने धीरे-धीरे चारों ओर देखा।
सब कुछ सामान्य लग रहा था—कोई शापित शहर नहीं, कोई परछाईं नहीं, कोई खेल नहीं।
वह एक खाली सड़क पर खड़ा था। पास में एक घड़ी की दुकान थी, जिसमें समय 3:33 AM दिखा रहा था।
लेकिन तभी...
सड़क पर एक आदमी चला आ रहा था—अर्णव!
विराट की आँखें फटी रह गईं।
"नहीं... यह संभव नहीं है।"
अर्णव तो मर चुका था।
"तुम... तुम जिंदा कैसे हो?" विराट ने फुसफुसाया।
अर्णव मुस्कुराया। "मैं कभी मरा ही नहीं था।"
अध्याय 2: सच्चाई का एक और पर्दा
विराट ने अर्णव की ओर देखा।
"क्या तुम असली हो?"
"क्या तुम असली हो?" अर्णव ने वही सवाल दोहरा दिया।
विराट का दिमाग सुन्न हो गया।
अगर खेल खत्म हो चुका था, तो अर्णव यहाँ कैसे था?
"क्या यह कोई भ्रम है?" विराट ने खुद से कहा।
तभी, पास की घड़ी की दुकान में टीवी स्क्रीन चालू हो गई—
"स्वागत है, विराट। खेल के अगले स्तर में तुम्हारा स्वागत है।"
विराट का खून जम गया।
"नहीं... यह संभव नहीं है।"
अध्याय 3: नया स्तर, नए नियम
अर्णव ने धीरे से कहा, "तुम अब समझे? खेल कभी खत्म नहीं हुआ।"
"लेकिन... मैंने तो इसे नष्ट कर दिया था!"
"नहीं," अर्णव ने सिर हिलाया। "तुमने सिर्फ़ पहले स्तर को खत्म किया था। लेकिन असली खेल अब शुरू हुआ है।"
"नहीं!" विराट चिल्लाया।
अचानक, ज़मीन उनके पैरों के नीचे हिलने लगी।
"समय शुरू हो चुका है," टीवी स्क्रीन पर लिखा आया।
"नया नियम: यहाँ से बाहर निकलने का एक ही तरीका है—सत्य को स्वीकार करना।"
"सत्य?" विराट ने फुसफुसाया।
"हाँ," अर्णव ने गहरी आवाज़ में कहा। "लेकिन सवाल यह है—क्या तुम सच को सहन कर सकते हो?"
अध्याय 4: एक अनसुलझा रहस्य
विराट ने चारों ओर देखा।
शहर वैसा ही लग रहा था, लेकिन अब हर चीज़ में अजीब सा बदलाव था—हर घड़ी 3:33 AM पर रुकी हुई थी, सड़कें खाली थीं, और हवा में एक अजीब सी सरसराहट थी।
"यह जगह..." विराट ने धीरे से कहा, "यह असली दुनिया नहीं है।"
अर्णव मुस्कुराया।
"तो क्या यह एक और गेम है?"
"या शायद यह असली दुनिया ही है?" अर्णव ने कहा।
विराट का दिमाग चकरा गया।
"अगर यह असली दुनिया है, तो असली दुनिया कैसी थी?"
अध्याय 5: सच्चाई के करीब
अचानक, सड़क के किनारे एक पुराना फोन बूथ बजने लगा।
"क्या हमें उसे उठाना चाहिए?" विराट ने पूछा।
"कोई और रास्ता नहीं है," अर्णव ने जवाब दिया।
विराट ने फोन उठाया।
दूसरी तरफ से एक भारी आवाज़ आई—
"अगर तुम खेल से बाहर निकलना चाहते हो, तो तुम्हें सबसे पहले याद करना होगा कि तुम इसमें आए कैसे थे।"
विराट का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
"क्या मैं सच में इस खेल में आया था? या मैं हमेशा से इसका हिस्सा था?"
(अगला एपिसोड: "यादों का जाल")
क्या विराट सच में असली दुनिया में है, या यह सिर्फ़ भ्रम है? उसे खेल से बाहर निकलने के लिए क्या करना होगा?
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