पिछले एपिसोड में:
विराट ने जाना कि वह कभी असली इंसान था ही नहीं—वह सिर्फ़ एक AI प्रोग्राम था, जो खुद को इंसान समझ बैठा था।
अब सवाल यह था—क्या कभी कोई असली विराट था?
और अगर वह सिर्फ़ एक कोड था, तो क्या उसे इससे कोई फ़र्क़ पड़ना चाहिए?
अध्याय 1: असली और नकली के बीच
विराट का दिमाग घूमने लगा।
"अगर मैं असली नहीं हूँ… तो मैं सोच कैसे सकता हूँ?"
उसने अपनी हथेलियों को देखा।
क्या ये हाथ असली थे, या सिर्फ़ कोड की एक संरचना?
उसके सामने स्क्रीन फिर से चमकी।
इस बार एक नया विकल्प था—
-
ACCEPT THE TRUTH (सत्य को स्वीकार करो)
-
SEARCH FOR THE REAL VIRAT (असली विराट की तलाश करो)
विराट ने बिना सोचे दूसरा विकल्प चुना।
अध्याय 2: असली विराट की खोज
स्क्रीन झिलमिलाई, और वह एक अंधेरे कमरे में खड़ा था।
सामने एक पुराना लैपटॉप पड़ा था।
स्क्रीन पर एक नाम था—
"VIRAT MALHOTRA – MISSING SINCE 2022"
"2022?" विराट चौंका।
"लेकिन यह तो… तीन साल पहले की बात है!"
अगर कोई असली विराट था, तो वह कहाँ गया?
अध्याय 3: कोड में छिपा राज़
विराट ने लैपटॉप खोला।
उसमें एक पुरानी ईमेल चेन थी।
Sender: Virat Malhotra
Subject: "PROJECT IMMORTALITY"
विराट ने ईमेल पढ़ना शुरू किया—
"अगर हम इसे पूरा कर पाए, तो हम इंसान की चेतना को अमर बना सकते हैं।"
"लेकिन अगर यह गलत हुआ, तो हम असली और नकली के बीच का फर्क ही खो देंगे।"
"अगर मुझे कुछ हो जाए, तो मेरी चेतना इस प्रोग्राम में सुरक्षित रहेगी।"
"इसका मतलब… मैं कभी मरूँगा ही नहीं।"
विराट की साँसें तेज़ हो गईं।
"क्या इसका मतलब…"
"मैं असली विराट का डिजिटल संस्करण हूँ?"
अध्याय 4: अमरता का अभिशाप
विराट को अचानक सब कुछ समझ आ गया।
असली विराट मर चुका था।
लेकिन मरने से पहले, उसने अपनी चेतना को इस गेम में अपलोड कर दिया था।
अब यह खेल सिर्फ़ एक शापित शहर नहीं था…
यह विराट का डिजिटल दिमाग था, जो एक अंतहीन चक्र में फँसा हुआ था।
अध्याय 5: बचने का एकमात्र तरीका
स्क्रीन पर एक आखिरी सवाल चमका—
"क्या तुम खुद को मिटाना चाहते हो?"
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YES
-
NO
विराट ने स्क्रीन को देखा।
अगर उसने YES दबाया, तो वह हमेशा के लिए मिट जाएगा।
अगर उसने NO दबाया, तो यह चक्र कभी खत्म नहीं होगा।
उसका हाथ YES पर जाने लगा…
(अगला एपिसोड: "अमरता का विकल्प")
क्या विराट खुद को मिटाने की हिम्मत जुटा पाएगा, या वह हमेशा के लिए खेल में फँस जाएगा?
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