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शापित शहर – एपिसोड 15: अंतिम स्तर



पिछले एपिसोड में:

विराट को पता चला कि वह इस खेल का पहला खिलाड़ी था—और शायद इसका रचयिता भी। लेकिन इससे बाहर निकलने का एकमात्र तरीका था—"DELETE SELF" दबाना।

अब सवाल था—क्या यह सच में खेल खत्म करने का तरीका था, या सिर्फ़ एक और धोखा?


अध्याय 1: विकल्प का बोझ

विराट ने कंप्यूटर स्क्रीन पर चमकते दो विकल्पों को देखा—

  1. EXIT

  2. DELETE SELF

उसके हाथ काँपने लगे।

"अगर मैं EXIT दबाता हूँ, तो क्या मैं बाहर निकल जाऊँगा?"

अर्णव ने कोई जवाब नहीं दिया।

"और अगर मैं DELETE SELF दबाता हूँ…" विराट की आवाज़ धीमी पड़ गई।

"तो शायद तुम हमेशा के लिए मिट जाओगे।" अर्णव की आवाज़ गूँजी।

विराट के अंदर एक अजीब सा डर जाग उठा।

"अगर यह भी एक और स्तर हुआ तो?"

"अगर यह सच में खेल का अंत हुआ तो?"


अध्याय 2: परछाइयों का हमला

अचानक, स्क्रीन पर गिनती शुरू हो गई—

10… 9… 8…

"तुम्हारे पास ज़्यादा समय नहीं है!" अर्णव चिल्लाया।

सड़कें हिलने लगीं, आसमान लाल हो गया।

चारों ओर से काले धुएँ जैसी परछाइयाँ उठने लगीं।

"अगर तुमने फैसला नहीं लिया, तो खेल तुम्हारा फैसला खुद कर लेगा!"


अध्याय 3: कौन असली है?

"लेकिन मैं जानना चाहता हूँ कि मैं कौन हूँ!" विराट चिल्लाया।

परछाइयाँ उसके चारों ओर घिरने लगीं।

"तुम असली थे… या नहीं थे, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।" अर्णव ने कहा। "सवाल यह है—तुम अब क्या करना चाहते हो?"

"क्या मैं असली हूँ?"

"शायद। लेकिन असली होने के लिए तुम्हें इस खेल से बाहर निकलना होगा।"

"और अगर मैं बाहर निकला तो?"

"तो शायद तुम असली बन जाओगे।"


अध्याय 4: अंतिम निर्णय

गिनती अब 3… 2… तक पहुँच चुकी थी।

परछाइयाँ अब विराट के कंधों तक आ चुकी थीं।

"तुम्हारे पास सिर्फ़ एक सेकंड बचा है!"

विराट ने अपनी पूरी ताकत जुटाई—

उसने "DELETE SELF" दबा दिया।


अध्याय 5: शून्य में गिरावट

सब कुछ अंधेरा हो गया।

कोई आवाज़ नहीं।

कोई शहर नहीं।

कोई खेल नहीं।

बस… शून्य।


अंत… या एक नई शुरुआत?

धीरे-धीरे, अंधकार में एक धुंधली रोशनी चमकी।

एक नई आवाज़ गूँजी—

"वेलकम बैक, विराट।"

विराट ने आँखें खोलीं।

वह एक कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठा था।

स्क्रीन पर लिखा था—

"GAME RESTARTED."


(अगला एपिसोड: "अनंत चक्र")

क्या विराट सच में खेल से बाहर निकल पाया, या यह सिर्फ़ एक नई शुरुआत थी?

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