पिछले एपिसोड में:
विराट को महसूस हुआ कि उसकी यादें अधूरी थीं। उसे यकीन था कि वह असली दुनिया से आया था, लेकिन जब उसने अपना प्रतिबिंब देखा, तो उसे एहसास हुआ—वह खुद को नहीं पहचान पा रहा था।
फिर अर्णव ने सबसे बड़ा रहस्य खोला—
"तुम इस खेल के पहले खिलाड़ी हो, विराट।"
अब सवाल यह था—अगर विराट ही इस खेल की शुरुआत करने वाला था, तो क्या वह कभी इससे बाहर निकल सकता था?
अध्याय 1: अतीत की परछाइयाँ
विराट अर्णव की ओर देखने लगा।
"तुम झूठ बोल रहे हो!"
अर्णव ने गहरी साँस ली। "क्या सच को नकारने से वह बदल जाएगा?"
"मैं असली हूँ। मैं हमेशा से असली दुनिया में था।"
"तो मुझे एक सवाल का जवाब दो," अर्णव ने कहा।
"तुम्हें पहली बार खेल के बारे में कैसे पता चला?"
विराट के दिमाग में एक ज़ोरदार झटका लगा।
"मैंने… मैंने इसे ऑनलाइन खोजा था।"
"क्या तुम पक्का कह सकते हो?"
विराट के माथे पर पसीना आ गया।
अध्याय 2: पहला खिलाड़ी
अचानक, हवा में एक हल्की गूँज उठी—एक पुरानी रिकॉर्डिंग की आवाज़।
"मेरा नाम विराट है। अगर कोई यह सुन रहा है, तो मैं एक चेतावनी देना चाहता हूँ। यह सिर्फ़ एक खेल नहीं है—यह एक जाल है। और सबसे बुरी बात यह है कि…"
आवाज़ टूट गई।
विराट सन्न रह गया।
"यह मेरी ही आवाज़ है!"
अर्णव मुस्कुराया।
"हाँ। तुम इस खेल के पहले खिलाड़ी थे। और तुम ही वह इंसान हो जिसने इसे बनाया था।"
विराट को अपने पैरों तले ज़मीन खिसकती हुई महसूस हुई।
अध्याय 3: यादों की गहराई में
विराट की आँखों के सामने सब कुछ घूमने लगा।
काले कोड की लकीरें… कंप्यूटर स्क्रीन पर तेज़ी से दौड़तीं… एक पुराने लैब का दृश्य…
"मैं… मैंने इसे बनाया?"
"हाँ," अर्णव ने कहा। "तुमने इस खेल को बनाया, लेकिन फिर तुम खुद इसमें फँस गए।"
"नहीं… यह असंभव है!"
"अगर यह असंभव होता, तो तुम अब भी बाहर होते।"
विराट ने गहरी साँस ली।
"अगर मैं इस खेल को बना सकता हूँ… तो मैं इसे खत्म भी कर सकता हूँ, है ना?"
अर्णव ने सिर झुका लिया।
"शायद। लेकिन क्या तुम इसके लिए तैयार हो?"
अध्याय 4: खेल खत्म करने का एकमात्र तरीका
विराट ने चारों ओर देखा।
खेल को खत्म करने का सिर्फ़ एक ही तरीका था—उसे खुद को मिटाना होगा।
"अगर मैं असली नहीं हूँ, तो असली विराट कहाँ है?"
अर्णव ने धीरे से कहा—"शायद अब कोई असली विराट बचा ही नहीं।"
"तो मैं कौन हूँ?"
"तुम सिर्फ़ इस खेल का हिस्सा हो। और अगर तुम इसे खत्म करना चाहते हो… तो तुम्हें अपने अस्तित्व को मिटाना होगा।"
अध्याय 5: खुद को मिटाने की घड़ी
समय तेज़ी से बीत रहा था।
विराट के सामने एक डिजिटल कंसोल प्रकट हुआ।
उस पर सिर्फ़ दो बटन थे—
-
EXIT
-
DELETE SELF
विराट के हाथ काँपने लगे।
"अगर मैं 'EXIT' दबाता हूँ, तो क्या मैं बच जाऊँगा?"
अर्णव ने सिर हिलाया। "नहीं। तुम फिर से खेल में ही फँसे रहोगे।"
"तो इसका मतलब…"
"हाँ," अर्णव ने कहा। "अगर तुम सच में इसे खत्म करना चाहते हो, तो तुम्हें 'DELETE SELF' दबाना होगा।"
अंतिम निर्णय…
विराट ने कंसोल को देखा।
EXIT… या DELETE SELF?
क्या वह सच में खुद को मिटाने के लिए तैयार था?
या वह फिर से वही गलती दोहराएगा?
(अगला एपिसोड: "अंतिम स्तर")
क्या विराट सच में खेल को खत्म कर पाएगा? या यह एक और धोखा है?
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