भाग 6: श्राप फिर जाग उठा भाग 1: मंदिर में छुपा रहस्य माया, आदित्य और रोहन यह सोचकर लौट आए थे कि अब सब ठीक हो गया। लेकिन मंदिर की ज़मीन के नीचे कुछ और ही चल रहा था। रात के अंधेरे में, जब कोई वहाँ नहीं था, मिट्टी के नीचे से धीरे-धीरे गुड़िया की लकड़ी की उंगलियाँ बाहर आने लगीं। अचानक, मंदिर की पुरानी घंटी बिना किसी हवा के खुद-ब-खुद बज उठी। वहाँ से गुजर रहे एक पुजारी ने यह सब देखा। उनके चेहरे पर डर उतर आया। "यह श्राप अभी खत्म नहीं हुआ…" उन्होंने बुदबुदाया। भाग 2: अजीब घटनाएँ फिर शुरू अगले दिन, माया को एक अजीब सपना आया। सपने में वह उसी जंगल में थी, लेकिन वहाँ हर जगह अंधेरा था। उसके सामने एक छोटी बच्ची खड़ी थी—वही लड़की, जिसकी आत्मा गुड़िया में कैद थी! "तुमने मुझे यहाँ छोड़ दिया," बच्ची ने धीरे-धीरे कहा। "नहीं, हमने तो तुम्हें मुक्ति दी थी!" माया ने घबराकर जवाब दिया। बच्ची की आँखें अचानक काली हो गईं, और उसकी आवाज़ गूँजने लगी— "तुमने सिर्फ गुड़िया को यहाँ छोड़ा… लेकिन मैं अब भी ज़िंदा हूँ!" माया की चीख सुनकर उसकी माँ ने उसे जगाया। वह पसीने से तर थी। ...
Bachon aur bado ke liye kahaniyon ka ek anokha safar – horror, suspense, aur general blogs ek hi jagah.