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भूतिया खिलौने की दुकान – भाग 2

 भूतिया खिलौने की दुकान – भाग 2: श्राप का अंत?


भाग 1: डर अभी भी ज़िंदा है


आदित्य, रोहन और माया दुकान से बाहर आ चुके थे, लेकिन उनके दिल की धड़कनें तेज़ थीं। जलती हुई दुकान की राख में बैठी लकड़ी की गुड़िया अब भी मुस्कुरा रही थी।


"हमें इसे यहीं छोड़ देना चाहिए," रोहन ने कहा।


लेकिन माया को लगा कि गुड़िया ने उसकी ओर आँख मारी। उसने जल्दी से नज़रें फेर लीं।


वे तीनों तेज़ी से अपने-अपने घर चले गए, यह सोचकर कि अब सब ठीक हो गया है। मगर असली डर अभी बाकी था।


भाग 2: रात का आतंक


रात में माया की नींद अचानक खुल गई। उसे लगा कि उसके कमरे में कोई और भी है। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन कुछ नजर नहीं आया।


तभी—खिलौनों की हल्की-हल्की हँसी गूँजी।


उसका टेडी बियर हिलने लगा।


डर से कांपते हुए, माया ने लाइट जलाई। मगर जैसे ही रोशनी हुई, सब कुछ सामान्य लगने लगा।


"शायद यह मेरा वहम है," उसने खुद को समझाया और फिर सोने की कोशिश की।


लेकिन तकिए के नीचे उसे कुछ सख्त महसूस हुआ। उसने घबराकर तकिया हटाया—वहीं लकड़ी की गुड़िया पड़ी थी, जो दुकान में रह गई थी!


भाग 3: श्रापित आत्माएँ


अगले दिन, माया ने आदित्य और रोहन को बुलाया।


"यह गुड़िया दुकान में रह गई थी, फिर यह मेरे पास कैसे आई?"


आदित्य ने कहा, "हो सकता है कि... शर्मा जी की आत्मा अब भी इसमें हो।"


तभी गुड़िया हंस पड़ी।


"तुम लोग मुझसे बच नहीं सकते!"


गुड़िया हवा में उठ गई और सारे खिलौने खुद-ब-खुद हिलने लगे। कमरे की खिड़कियाँ बंद हो गईं, और लाइट झपकने लगी।


भाग 4: श्राप को खत्म करने का तरीका


"हमें इसे जलाना होगा!" रोहन चिल्लाया।


"लेकिन पिछली बार दुकान जल गई थी, फिर भी यह बच गई," माया ने कहा।


आदित्य को कुछ याद आया—"हमें इसके पीछे का राज़ खोजना होगा।"


तीनों फिर से उस जल चुकी दुकान के पास गए। राख में अब भी कुछ खिलौनों के हिस्से थे। वहीं, एक पुरानी डायरी मिली।


डायरी शर्मा जी की थी। उसमें लिखा था:


"जो इस गुड़िया को पाएगा, वही श्राप का अगला शिकार बनेगा। इसे नष्ट करने का एक ही तरीका है—इसे उसी जगह दफनाओ, जहाँ पहली बार इसे बनाया गया था।"


भाग 5: आखिरी लड़ाई


डायरी के पन्नों से पता चला कि यह गुड़िया एक पुराने जंगल में बनी थी, जो शहर से दूर था।


अगली रात, वे उस जंगल में गए। जैसे-जैसे वे गड्ढा खोद रहे थे, हवा तेज़ होने लगी। गुड़िया ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी।


"तुम ऐसा नहीं कर सकते! मैं हमेशा ज़िंदा रहूँगी!"


लेकिन तीनों ने डर को नज़रअंदाज़ किया और उसे ज़मीन में दबा दिया।


जैसे ही मिट्टी ने गुड़िया को पूरी तरह ढक लिया, अजीब आवाज़ें आनी बंद हो गईं। जंगल शांत हो गया।


भाग 6: क्या सच में अंत हो गया?


तीनों ने राहत की सांस ली। "अब यह खत्म हो गया," माया ने कहा।


लेकिन जब वे लौट रहे थे, तो रोहन ने पेड़ के नीचे कुछ देखा—

वह लकड़ी की गुड़िया फिर से वहीं बैठी थी, मुस्कुराते हुए...


भाग 3 जानने के लिए देखते भुतिया खिलौने की दूकान 


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