सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जंगल का रहस्यमयी खजाना

 जंगल का रहस्यमयी खजाना

गहरे जंगल के बीचों-बीच एक हरा-भरा स्थान था, जहाँ बड़े-बड़े पेड़ अपनी शाखाएँ फैलाए खड़े थे और हरियाली चारों ओर फैली हुई थी। वहाँ पक्षियों की चहचहाहट और नदियों की कलकल ध्वनि गूँजती रहती थी। इसी जंगल में कई तरह के जानवर खुशी-खुशी रहते थे। शेर राजा के रूप में शासन करता था, हाथी बुद्धिमान सलाहकार था, और लोमड़ी अपनी चतुराई के लिए प्रसिद्ध थी।

एक दिन, जंगल में एक अजीब सी अफवाह फैली। कहा जाता था कि जंगल के उत्तर में एक रहस्यमयी खजाना छिपा हुआ है। यह सुनकर सभी जानवर उत्सुक हो गए। जंगल के सबसे निडर जानवर – खरगोश मोती, बंदर बबलू, हिरन चंदन, और तोता मिन्नी – ने तय किया कि वे इस खजाने की खोज करेंगे।

सुबह-सुबह वे सब एक साथ खजाने की खोज में निकल पड़े। सबसे पहले, उन्हें एक गहरी नदी पार करनी थी। मगर नदी में मगरमच्छ था जो किसी को पार नहीं करने दे रहा था। बबलू को एक तरकीब सूझी। उसने मगरमच्छ से कहा, "क्या तुमने सुना नहीं? जंगल के राजा शेर ने आदेश दिया है कि सभी जानवरों को नदी पार करने दो।" मगरमच्छ शेर के नाम से डर गया और किनारे चला गया। इस तरह, सभी जानवर नदी पार कर गए।

आगे बढ़ने पर उन्हें एक विशाल पहाड़ मिला। पहाड़ के ऊपर एक पुराना उल्लू बैठा था। उसने कहा, "अगर तुम इस पहाड़ को पार करना चाहते हो, तो मेरी पहेली का उत्तर दो।" उसने पूछा, "ऐसी कौन सी चीज़ है जो जितना भरी होती है, उतनी हल्की लगती है?"

मिन्नी तोते ने तुरंत उत्तर दिया, "गुब्बारा!" उल्लू मुस्कुराया और बोला, "बिलकुल सही! जाओ, पहाड़ पार करो।"

अब जानवरों के सामने एक घना जंगल था। वहाँ एक बूढ़ा भालू बैठा था। उसने कहा, "मैं इस जंगल का रखवाला हूँ। अगर तुम्हें इस जंगल से गुजरना है, तो तुम्हें मेरी मदद करनी होगी।"

"कैसी मदद?" मोती ने पूछा।

भालू बोला, "मेरा बच्चा खो गया है। उसे ढूंढने में मेरी मदद करो।"

जानवर तुरंत बिखर गए और खोजने लगे। कुछ ही देर में, चंदन हिरन को झाड़ियों के पीछे एक छोटा भालू दिखा। सभी खुशी-खुशी उसे उसके पिता के पास ले गए। भालू बहुत खुश हुआ और उन्हें जंगल से गुजरने दिया।

अंततः, वे खजाने के स्थान पर पहुँचे। वहाँ एक पुराना पेड़ था, जिसके नीचे मिट्टी में कुछ दबा हुआ था। उन्होंने मिट्टी हटाई और एक बड़ा सा लकड़ी का संदूक निकला। जब उन्होंने उसे खोला, तो वे हैरान रह गए! उसमें कोई सोना-चाँदी नहीं था, बल्कि ढेर सारी किताबें, पुराने सिक्के और ज्ञान से भरे पत्र थे।

मिन्नी ने एक पत्र पढ़ा, "यह खजाना जंगल के सबसे अनमोल रत्नों के लिए है – ज्ञान, दोस्ती और समझदारी।"

सभी जानवरों ने महसूस किया कि असली खजाना सोना या चाँदी नहीं, बल्कि ज्ञान और दोस्ती होती है। वे खुशी-खुशी जंगल लौट आए और अपनी इस यात्रा की कहानी सबको सुनाई।

इसके बाद, जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर एक पुस्तकालय बनाया, जहाँ हर कोई आकर ज्ञान अर्जित कर सकता था।

इस तरह, जंगल में एक नई रोशनी आई, जो दोस्ती, समझदारी और ज्ञान की थी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सच्ची मेहनत का फल

 बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में रामु नाम का एक लड़का रहता था। रामु बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। उसके माता-पिता खेती करके मुश्किल से घर चलाते थे। रामु पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन पैसे की कमी के कारण वह ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाता था। ज्ञान की ओर पहला कदम रामु का सपना था कि वह बड़ा होकर एक विद्वान बने और अपने गाँव का नाम रोशन करे। लेकिन किताबें खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। गाँव में एक सेठ था, जिसके पास बहुत सारी किताबें थीं। रामु ने सोचा कि अगर वह सेठ के यहाँ कोई काम करे तो शायद उसे किताबें पढ़ने का मौका मिल जाए। रामु सेठ के पास गया और विनम्रता से बोला, "सेठ जी, मैं आपके यहाँ कोई भी काम करने को तैयार हूँ। बस बदले में मुझे आपकी लाइब्रेरी में बैठकर किताबें पढ़ने दें।" सेठ उसकी लगन देखकर प्रभावित हुआ और उसे रोज़ शाम को दुकान की सफाई करने का काम दे दिया। बदले में रामु को लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ने की अनुमति मिल गई। मेहनत और लगन का जादू रामु हर दिन स्कूल से आकर सेठ की दुकान पर सफाई करता और फिर घंटों किताबें पढ़ता। ...

सच्ची लगन और मेहनत का जादू

  गाँव का होशियार लड़का बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत होशियार और जिज्ञासु था। पढ़ाई में उसकी गहरी रुचि थी, लेकिन उसके माता-पिता गरीब थे और स्कूल की फीस भरना उनके लिए मुश्किल था। अर्जुन के पास किताबें खरीदने के पैसे भी नहीं थे, लेकिन वह कभी हार नहीं मानता था। गाँव में एक बूढ़े गुरुजी रहते थे, जो बहुत विद्वान थे। अर्जुन हर दिन उनके पास जाता और कहता, "गुरुजी, मुझे कुछ नया सिखाइए।" गुरुजी उसकी लगन देखकर प्रभावित हुए और उसे मुफ्त में पढ़ाने के लिए तैयार हो गए। मेहनत की सच्ची परीक्षा अर्जुन पढ़ाई में बहुत मेहनत करता था। वह दिन-रात पढ़ता और जो भी सीखता, उसे बार-बार दोहराता। लेकिन उसकी असली परीक्षा तब हुई जब गाँव में एक बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में पूरे जिले के बच्चे हिस्सा ले रहे थे, और विजेता को एक बड़े शहर में पढ़ाई करने का मौका मिलने वाला था। अर्जुन ने प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का फैसला किया। लेकिन उसके पास न तो अच्छी किताबें थीं, न ही कोई अन्य साधन। फिर भी, उसने अपनी मेहनत और गुरुजी के ज्ञान के बल पर ...

दोस्तों की मेहनत और लगन: एक प्रेरणादायक कहानी

  शुरुआत: दो सच्चे दोस्त किसी छोटे से गाँव में दो घनिष्ठ मित्र, रोहित और अजय, रहते थे। दोनों की दोस्ती बचपन से थी और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहते थे। दोनों का सपना था कि वे पढ़-लिखकर अपने गाँव का नाम रोशन करें, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। रोहित के माता-पिता किसान थे और अजय के माता-पिता एक छोटी सी दुकान चलाते थे। दोनों को अपने परिवार के कामों में भी मदद करनी पड़ती थी, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ता था। लेकिन उनके मन में कभी हार मानने का विचार नहीं आया। शिक्षा के प्रति संकल्प रोहित और अजय को पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन किताबें खरीदने के पैसे नहीं थे। उनके गाँव में एक सरकारी स्कूल था, जहाँ वे पढ़ते थे। स्कूल में पढ़ाई अच्छी थी, लेकिन संसाधनों की कमी थी। एक दिन, स्कूल में घोषणा हुई कि जिला स्तर पर एक परीक्षा होने वाली है, जिसमें जो भी बच्चा प्रथम आएगा, उसे शहर के एक बड़े स्कूल में मुफ्त में पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। यह सुनकर दोनों बहुत उत्साहित हुए, लेकिन उनके पास तैयारी के लिए ज़रूरी किताबें और सामग्री नहीं थी। मेहनत की राह दोनों ने तय किया कि वे अपनी सीमाओं के बावजू...