गाँव का होशियार लड़का
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत होशियार और जिज्ञासु था। पढ़ाई में उसकी गहरी रुचि थी, लेकिन उसके माता-पिता गरीब थे और स्कूल की फीस भरना उनके लिए मुश्किल था। अर्जुन के पास किताबें खरीदने के पैसे भी नहीं थे, लेकिन वह कभी हार नहीं मानता था।
गाँव में एक बूढ़े गुरुजी रहते थे, जो बहुत विद्वान थे। अर्जुन हर दिन उनके पास जाता और कहता, "गुरुजी, मुझे कुछ नया सिखाइए।" गुरुजी उसकी लगन देखकर प्रभावित हुए और उसे मुफ्त में पढ़ाने के लिए तैयार हो गए।
मेहनत की सच्ची परीक्षा
अर्जुन पढ़ाई में बहुत मेहनत करता था। वह दिन-रात पढ़ता और जो भी सीखता, उसे बार-बार दोहराता। लेकिन उसकी असली परीक्षा तब हुई जब गाँव में एक बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में पूरे जिले के बच्चे हिस्सा ले रहे थे, और विजेता को एक बड़े शहर में पढ़ाई करने का मौका मिलने वाला था।
अर्जुन ने प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का फैसला किया। लेकिन उसके पास न तो अच्छी किताबें थीं, न ही कोई अन्य साधन। फिर भी, उसने अपनी मेहनत और गुरुजी के ज्ञान के बल पर खुद को तैयार किया।
प्रतियोगिता का दिन आ गया। सभी बच्चों ने बहुत अच्छे उत्तर दिए, लेकिन अर्जुन के उत्तर सबसे प्रभावशाली और ज्ञान से भरपूर थे। निर्णायकों ने अर्जुन को विजेता घोषित कर दिया। उसकी मेहनत और लगन रंग लाई थी।
सफलता की राह
इस प्रतियोगिता को जीतने के बाद अर्जुन को शहर के एक बड़े स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। उसने वहाँ भी कड़ी मेहनत की और धीरे-धीरे एक बड़ा विद्वान बन गया। जब वह बड़ा हुआ, तो उसने गाँव लौटकर एक विद्यालय खोला, जहाँ गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाने लगी।
उसके गाँव के लोग बहुत खुश हुए और उन्होंने अर्जुन को सम्मानित किया। अब गाँव के हर बच्चे को शिक्षा मिल रही थी, और सभी को यह सीख मिल रही थी कि अगर मेहनत और लगन हो, तो कोई भी बाधा सफलता के रास्ते में नहीं आ सकती।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची मेहनत और लगन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन अगर हम डटे रहें, तो सफलता निश्चित है।
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