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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

रंग-बिरंगी तितली की प्रेरणादायक कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है, एक हरे-भरे जंगल में तरह-तरह के जीव-जंतु रहते थे। वहाँ ऊँचे-ऊँचे पेड़, रंग-बिरंगे फूल और एक छोटी-सी नदी थी, जो पूरे जंगल को ताजगी से भर देती थी। इसी जंगल के एक कोने में, एक नन्ही-सी गिरी हुई अंडी पड़ी थी, जिससे जल्द ही एक छोटी-सी इल्ली निकली।

नई दुनिया से पहला परिचय

जब इल्ली (कैटरपिलर) अपने अंडे से बाहर निकली, तो उसे चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई दी। वह बहुत कमजोर और छोटी थी, लेकिन उसमें जीने की अद्भुत इच्छाशक्ति थी। वह अपने चारों ओर देखकर हैरान थी और सोच रही थी, "यह दुनिया कितनी सुंदर है! लेकिन मैं इतनी छोटी और कमजोर क्यों हूँ?"

धीरे-धीरे इल्ली को भूख लगने लगी, तो उसने पास के पत्तों को खाना शुरू कर दिया। वह दिन-रात खाती रही, ताकि वह बड़ी और मजबूत हो सके। लेकिन जंगल के बाकी जीव उसे देखकर हँसते थे।

एक टिड्डे ने मजाक उड़ाते हुए कहा, "अरे, तुम तो बहुत ही छोटी और अजीब-सी दिखती हो! न पंख हैं, न सुंदरता। तुम कभी उड़ नहीं पाओगी!"

यह सुनकर इल्ली को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने खुद से कहा, "भले ही मैं अभी कमजोर हूँ, लेकिन एक दिन मैं भी बड़ी और सुंदर बनूंगी।"

संघर्ष और धैर्य की परीक्षा

दिन बीतते गए, और इल्ली धीरे-धीरे बड़ी होती गई। लेकिन उसे अभी भी उड़ने का कोई तरीका नहीं पता था। जंगल के अन्य जीव उसकी स्थिति पर हँसते रहते, लेकिन इल्ली को अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था।

फिर एक दिन, इल्ली को महसूस हुआ कि वह अब और नहीं खा सकती। उसे बहुत थकान महसूस हो रही थी। उसने एक सुरक्षित जगह खोजी और वहाँ एक पेड़ की डाली पर चढ़कर खुद को रेशमी धागों से लपेट लिया। उसने एक खोल (कोकून) बना लिया और उसमें चली गई।

अब जंगल के सभी जानवर हैरान थे। मेंढक ने चिढ़ाते हुए कहा, "लगता है यह अब हमेशा के लिए सो गई!"

लेकिन इल्ली जानती थी कि यह उसका अंत नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है। वह धैर्यपूर्वक अपने खोल में रही, अंदर ही अंदर बदलाव को महसूस करती रही।

नए जीवन की शुरुआत

फिर एक दिन, जब सूरज की पहली किरण उस खोल पर पड़ी, तो खोल के अंदर हलचल हुई। धीरे-धीरे, खोल फटने लगा और उसमें से एक सुंदर तितली निकली। उसके पंख गीले और सिकुड़े हुए थे, लेकिन जैसे ही उसने अपने पंख फैलाए, वे चमकने लगे। वह अब एक साधारण इल्ली नहीं थी, बल्कि एक सुंदर, रंग-बिरंगी तितली बन चुकी थी!

जब तितली पहली बार अपने पंखों को हिलाने लगी, तो उसे महसूस हुआ कि अब वह उड़ सकती है! उसने धीरे-धीरे अपने पंख फड़फड़ाए और हवा में ऊँची उड़ान भरी।

जंगल के सारे जानवर अचंभित थे। वही मेंढक और टिड्डा, जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे, अब उसे देखकर दंग रह गए।

टिड्डे ने शर्मिंदा होकर कहा, "हमें माफ करना! हमें नहीं पता था कि तुम इतनी सुंदर और अद्भुत बन जाओगी!"

तितली मुस्कुराई और बोली, "यही जीवन का सच है। परिवर्तन और धैर्य ही हमें सुंदर बनाते हैं। अगर हम मेहनत और विश्वास से अपना सफर तय करें, तो कोई भी हमें रोक नहीं सकता।"

शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन अगर हम धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखें, तो हम भी अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।

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