गोलू भालू की बहादुरी
गहरे जंगल में गोलू नाम का एक प्यारा सा भालू रहता था। वह बहुत दयालु और मिलनसार था, लेकिन थोड़ा डरपोक भी था। उसके दोस्त – खरगोश मोती, बंदर बबलू, हिरन चंदन और तोता मिन्नी – हमेशा जंगल में घूमते और मजे करते। लेकिन गोलू को हमेशा नए रोमांच से डर लगता था।
एक दिन, जंगल में अफवाह फैली कि एक विशालकाय भेड़िया जंगल के सभी जानवरों को डराने आ रहा है। सभी जानवर डर गए और अपने-अपने घरों में छिप गए। मोती ने कहा, "हमें कुछ करना होगा, नहीं तो भेड़िया हमें खा जाएगा!"
बबलू ने सुझाव दिया, "हमें मिलकर उसे भगाने की योजना बनानी चाहिए।"
लेकिन गोलू बोला, "मैं तो बहुत डरता हूँ। मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा।"
मिन्नी तोते ने उसे समझाया, "गोलू, सच्ची बहादुरी डर पर जीत पाने में है, न कि बिना डर के रहने में।"
गोलू ने हिम्मत जुटाई और दोस्तों के साथ भेड़िए को भगाने की योजना बनाई। उन्होंने जंगल के बीचों-बीच एक गड्ढा खोदा और उसे पत्तों से ढक दिया। फिर बबलू ने एक बड़े पत्थर को ऊपर रख दिया ताकि जब भेड़िया आए तो वह गड्ढे में गिर जाए।
अगली रात, जब भेड़िया जंगल में आया, तो सभी जानवर चुपचाप छिप गए। गोलू ने बहादुरी से भेड़िए को ललकारा, "अगर तुम्हें इतना ही दम है, तो मुझे पकड़कर दिखाओ!"
भेड़िया गुस्से से गोलू की ओर दौड़ा और जैसे ही उसने छलांग लगाई, वह गड्ढे में गिर गया। सभी जानवर खुशी से झूम उठे! उन्होंने मिलकर भेड़िए को जंगल से बाहर निकाल दिया।
उस दिन के बाद से, गोलू भालू को डरपोक नहीं बल्कि जंगल का सबसे बहादुर जानवर माना जाने लगा। और उसने सीखा कि सच्ची बहादुरी अपने डर पर काबू पाने में होती है।
जंगल में फिर से शांति आ गई, और सभी जानवर पहले की तरह हंसी-खुशी रहने लगे।
गोलू भालू की बहादुरी
घने जंगल में गोलू नाम का एक प्यारा सा भालू रहता था। वह बहुत दयालु और मिलनसार था, लेकिन थोड़ा डरपोक भी था। उसके दोस्त - खरगोश मोती, बंदर आकृतियाँ, हिरण चंदन और तोता मिन्नी - हमेशा जंगल में रहते हैं और मजे करते हैं। लेकिन गोलू को हमेशा नए रोमांच से डर लगता था।
एक दिन, जंगल में अफ़वाह अफ़फ़्तार कि एक भेड़िया जंगल के सभी जानवरों को देखने आ रहा है। सभी जानवर डर गए और अपने-अपने घरों में छिप गए। पर्ल ने कहा, "हमें कुछ करना होगा, नहीं तो भेड़िया हमें खायेंगे!"
आदर्श ने सुझाव दिया, "हमें सम्मिलित रूप से भागने की योजना बनानी चाहिए।"
लेकिन गोलू ने कहा, "मैं तो बहुत डरता हूं। मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा।"
मिन्नी तोते ने उससे कहा, "गोलू, सच्ची बहादुरी वाली लड़की जीत में मिलती है, न कि बिना डर के रहो।"
गोलू ने काली बिल्ली और दोस्तों के साथ भेड़ियों को भगाने की योजना बनाई। उन्होंने जंगल के बीचों-बीच एक गांव खोदा और उसे ढूढ़ दिया। फिर मूर्ति ने एक बड़ा पत्थर ऊपर रख दिया ताकि जब भी भेड़िया आए तो वह गिर जाए।
अगली रात, जब भेड़िया जंगल में आया, तो सभी जानवर तितली जंगल में चले गये। गोलू ने बहादुरी से भेड़ियों को ललकारा, "अगर हथियार इतना ही दम है, तो मुझे राक्षसी दिखाओ!"
गोलू की ओर से भेड़िया को तोड़ दिया गया और जैसे ही वह अध्ययन किया गया, वह गिर गया। सभी जानवरों की खुशी से झूम उठो! उन्होंने सामूहिक रूप से भेड़ियों को जंगल से बाहर निकाल दिया।
उस दिन के बाद गोलू भालू को डरपोक नहीं बल्कि जंगल का सबसे बहादुर जानवर माना जाने लगा। और वह सिद्धांत जो सच्ची बहादुरी से अपने डॉक्टर पर प्राप्त करता है।
जंगल में फिर से शांति आ गई, और सभी जानवर पहले की तरह हँसी-खुशी रहने लगे।
गोलू भालू की बहादुरी
घने जंगल में गोलू नाम का एक प्यारा सा भालू रहता था। वह बहुत दयालु और मिलनसार था, लेकिन थोड़ा डरपोक भी था। उसके दोस्त - खरगोश मोती, बंदर आकृतियाँ, हिरण चंदन और तोता मिन्नी - हमेशा जंगल में रहते हैं और मजे करते हैं। लेकिन गोलू को हमेशा नए रोमांच से डर लगता था।
एक दिन, जंगल में अफ़वाह अफ़फ़्तार कि एक भेड़िया जंगल के सभी जानवरों को देखने आ रहा है। सभी जानवर डर गए और अपने-अपने घरों में छिप गए। पर्ल ने कहा, "हमें कुछ करना होगा, नहीं तो भेड़िया हमें खायेंगे!"
आदर्श ने सुझाव दिया, "हमें सम्मिलित रूप से भागने की योजना बनानी चाहिए।"
लेकिन गोलू ने कहा, "मैं तो बहुत डरता हूं। मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा।"
मिन्नी तोते ने उससे कहा, "गोलू, सच्ची बहादुरी वाली लड़की जीत में मिलती है, न कि बिना डर के रहो।"
गोलू ने काली बिल्ली और दोस्तों के साथ भेड़ियों को भगाने की योजना बनाई। उन्होंने जंगल के बीचों-बीच एक गांव खोदा और उसे ढूढ़ दिया। फिर मूर्ति ने एक बड़ा पत्थर ऊपर रख दिया ताकि जब भी भेड़िया आए तो वह गिर जाए।
अगली रात, जब भेड़िया जंगल में आया, तो सभी जानवर तितली जंगल में चले गये। गोलू ने बहादुरी से भेड़ियों को ललकारा, "अगर हथियार इतना ही दम है, तो मुझे राक्षसी दिखाओ!"
गोलू की ओर से भेड़िया को तोड़ दिया गया और जैसे ही वह अध्ययन किया गया, वह गिर गया। सभी जानवरों की खुशी से झूम उठो! उन्होंने सामूहिक रूप से भेड़ियों को जंगल से बाहर निकाल दिया।
उस दिन के बाद गोलू भालू को डरपोक नहीं बल्कि जंगल का सबसे बहादुर जानवर माना जाने लगा। और वह सिद्धांत जो सच्ची बहादुरी से अपने डॉक्टर पर प्राप्त करता है।
जंगल में फिर से शांति आ गई, और सभी जानवर पहले की तरह हँसी-खुशी रहने लगे।
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