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भूतिया खिलौने की दुकान – अंतिम अंत

 भूतिया खिलौने की दुकान 


अंतिम अंत


भाग 1: श्राप की आखिरी रात


माया और रोहन को लग रहा था कि सब खत्म हो चुका है, लेकिन गुड़िया के वापस आने का डर उनके दिलों में अब भी था।


"हमें यह यकीन करना होगा कि यह सच में खत्म हो गया है," माया ने कहा।


"हाँ, लेकिन अगर यह वापस आई, तो?" रोहन ने संदेह से पूछा।


"तो इस बार, हम इसे जलाने की कोशिश करेंगे।"


भाग 2: आग का इम्तिहान


दोनों ने उस पुरानी गुड़िया को उठाया और शहर के बाहर एक वीरान जगह पर ले गए। वहाँ उन्होंने लकड़ियाँ इकठ्ठी कीं और आग जलाई।


गुड़िया को लपटों में डालते ही एक अजीब-सी चीख सुनाई दी। जैसे कोई आत्मा दर्द में तड़प रही हो।


चारों ओर अंधेरा घना हो गया, लेकिन वे हिम्मत से खड़े रहे।


"यह खत्म हो रहा है," माया फुसफुसाई।


भाग 3: आत्मा की मुक्ति


गुड़िया जलकर राख हो गई। अचानक, हवा हल्की हो गई, और एक अजीब शांति छा गई।


"अब कोई आवाज़ नहीं," रोहन ने राहत की सांस लेते हुए कहा।


माया ने राख को हवा में उड़ा दिया और बुदबुदाई, "आदित्य, तुम्हारा बलिदान व्यर्थ नहीं गया। अब तुम शांति से रह सकते हो।"


भाग 4: एक नई सुबह


अगले दिन, माया और रोहन पहली बार बिना किसी डर के उठे।


कोई बुरा सपना नहीं, कोई अजीब घटना नहीं, बस एक आम सुबह।


"अब यह सच में खत्म हो गया," रोहन ने कहा।


"हाँ," माया मुस्कुराई। "अब यह श्राप किसी और को नहीं सताएगा।"


अंत




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