प्रस्तावना
रात के अंधेरे में एक पुराना नक्शा जलती हुई लालटेन की रोशनी में चमक रहा था। नक्शे के कोने मुड़े हुए थे, मानो यह सदियों से किसी रहस्य को छुपाए हुए हो। नक्शे पर किसी ऐसे स्थान का जिक्र था जो आधिकारिक तौर पर अस्तित्व में नहीं था—एक गुमशुदा शहर, जिसे न तो कोई जानता था और न ही कोई मानता था कि वह कभी मौजूद था।
लेकिन अर्णव, एक खोजी पत्रकार, विराट, एक पुलिस अधिकारी, और रिया, एक वैज्ञानिक, इस जगह के रहस्य को उजागर करने के लिए निकले थे। तीनों अलग-अलग पृष्ठभूमियों से थे, लेकिन उनकी मंज़िल एक थी—शापित शहर की दहलीज़ पर कदम रखना।
अध्याय 1: बुलावा
अर्णव - पत्रकार जो सच्चाई की तलाश में था
अर्णव हमेशा से उन कहानियों की खोज में रहता था, जो दुनिया से छुपी रहती थीं। उसे एक गुमनाम ईमेल मिला था, जिसमें लिखा था:
"अगर तुम्हें सच्चाई की तलाश है, तो उत्तर दिशा के जंगलों में उस शहर को ढूंढो, जिसे इतिहास ने भुला दिया है। वहाँ तुम्हें कुछ ऐसा मिलेगा जो पूरी दुनिया को हिला देगा। लेकिन याद रखना, वहाँ से कोई लौटकर नहीं आया है।"
उसने इस ईमेल को नज़रअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन उसके अंदर का जिज्ञासु पत्रकार शांत नहीं बैठ सका। कई दिनों की छानबीन के बाद उसे एक पुराना नक्शा मिला, जिस पर उस रहस्यमयी शहर का संकेत था।
विराट - पुलिस अधिकारी जिसे कुछ अलग महसूस हुआ
विराट एक कठोर और तर्कशील पुलिस अधिकारी था। उसने अपने करियर में कई अनसुलझे केस देखे थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों से कुछ अजीब हो रहा था। शहर के बाहर के जंगलों में लोगों के गायब होने की घटनाएँ बढ़ती जा रही थीं। जो भी उस दिशा में जाता, वो लौटकर नहीं आता।
एक रात, उसे एक बूढ़े आदमी ने रोका और फुसफुसाते हुए कहा, "उसे मत ढूँढो... जो खो गया है, उसे वैसे ही रहने दो। वरना तुम भी गुम हो जाओगे।"
विराट ने उस आदमी को नज़रअंदाज किया, लेकिन उसके भीतर कहीं न कहीं एक अजीब डर बैठ गया था। आखिर, ऐसा कौन सा रहस्य था जो लोगों को निगल रहा था?
रिया - वैज्ञानिक जो विज्ञान से परे की चीज़ों में विश्वास नहीं करती थी
रिया एक वैज्ञानिक थी, जो सिर्फ़ तथ्यों और सबूतों पर विश्वास करती थी। लेकिन हाल ही में उसे कुछ ऐसे रेडिएशन सिग्नल्स मिले थे जो किसी ज्ञात स्रोत से नहीं आ रहे थे। ये सिग्नल्स ठीक उसी जगह से आ रहे थे, जहाँ अर्णव और विराट जाने की योजना बना रहे थे।
"अगर यह किसी प्राकृतिक स्रोत से नहीं आ रहा, तो क्या यह किसी दूसरी ताकत का संकेत हो सकता है?"
भले ही वह भूत-प्रेतों पर विश्वास नहीं करती थी, लेकिन इस रहस्य को सुलझाने के लिए वह भी तैयार हो गई।
अध्याय 2: सफर की शुरुआत
तीनों अलग-अलग रास्तों से चलकर एक ही जगह पर पहुंचे—शहर के बाहर घने जंगल।
रास्ते में अर्णव ने अपनी जेब से वह पुराना नक्शा निकाला और कहा, "अगर यह नक्शा सही है, तो हमें इस जंगल के अंदर करीब 15 किलोमीटर तक जाना होगा। लेकिन..."
"लेकिन क्या?" विराट ने पूछा।
अर्णव ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "इस नक्शे पर एक चेतावनी लिखी है—'इस शहर में प्रवेश करने के बाद, पीछे मुड़कर मत देखना।' "
रिया हंस पड़ी। "सुनने में किसी पुरानी लोककथा जैसा लग रहा है। लेकिन चलो, देखते हैं यह जगह असल में है भी या नहीं।"
तीनों ने टॉर्च जलाए और जंगल के अंदर कदम रखा। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, पेड़ों के आकार बदलते गए। अजीब आकृतियों में झुके हुए पेड़, अंधेरे में चमकती आँखें, और अजीबोगरीब सरसराहटें।
कुछ ही घंटों में, उन्हें दूर एक शहर की धुंधली झलक दिखाई दी। लेकिन यह कोई साधारण शहर नहीं था। वहाँ की इमारतें टेढ़ी-मेढ़ी थीं, मानो किसी अदृश्य ताकत ने उन्हें मोड़ दिया हो। हवा में एक अजीब सी गंध थी—जली हुई लकड़ी और सड़े हुए फूलों की मिली-जुली गंध।
विराट ने आगे बढ़कर शहर के मुख्य द्वार को देखा। एक पुराना, टूटा-फूटा बोर्ड पड़ा था, जिस पर जंग लगे शब्द मुश्किल से पढ़े जा सकते थे—
"स्वागत है तुम्हारा... लेकिन क्या तुम वापस जा पाओगे?"
अध्याय 3: पहला संकेत
जैसे ही वे शहर के अंदर घुसे, उनके कदम भारी हो गए। ऐसा लग रहा था मानो हवा में कोई अदृश्य ताकत उन्हें रोक रही हो।
अचानक, अर्णव को ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसकी गर्दन के पीछे सांस ले रहा है। वह तुरंत पलटा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
रिया ने अपनी मशीन से रेडिएशन को स्कैन किया, और उसकी स्क्रीन पर अजीबोगरीब तरंगे दिखने लगीं। "यह जगह बिल्कुल सामान्य नहीं है..." उसने धीरे से कहा।
विराट ने अपनी जेब से बंदूक निकाली और बोला, "जो भी हो, हमें सतर्क रहना होगा। यह जगह जितनी सुनसान लग रही है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है।"
अचानक, दूर एक पुरानी इमारत के अंदर से किसी के चलने की आवाज़ आई।
"कोई यहाँ है?" अर्णव ने ज़ोर से पूछा।
कोई जवाब नहीं आया।
विराट ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और दरवाजे को धक्का दिया। दरवाजा खुद-ब-खुद धीरे-धीरे चरमराता हुआ खुल गया।
अंदर घुप्प अंधेरा था।
लेकिन जैसे ही उन्होंने टॉर्च की रोशनी अंदर डाली, वे घबराकर पीछे हट गए।
दीवारों पर खून से लिखे शब्द चमक रहे थे—
"तुम्हारा स्वागत है... बाहर जाने का रास्ता बंद हो चुका है।"
(जारी रहेगा...)
अब अगले एपिसोड "भटकना" में शहर की असलियत और भी डरावनी होगी। क्या वे इस जगह से निकल पाएंगे? या यह शहर उन्हें अपनी गुमशुदा कहानियों में शामिल कर लेगा?
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