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शापित शहर – एपिसोड 2: भटकना


पिछले एपिसोड में:

अर्णव, विराट और रिया एक रहस्यमयी शहर की तलाश में जंगल के रास्ते से होते हुए आखिरकार उस जगह पहुँच चुके थे। लेकिन यह कोई साधारण शहर नहीं था। यहां की इमारतें टेढ़ी-मेढ़ी थीं, हवा में अजीब-सी गंध थी, और जैसे ही वे एक पुरानी इमारत में घुसे, उन्होंने देखा कि दीवारों पर खून से लिखा था—

"तुम्हारा स्वागत है... बाहर जाने का रास्ता बंद हो चुका है।"

अब, इस शहर के अंदर कदम रखने के बाद, उनके लिए सब कुछ बदलने वाला था।


अध्याय 1: शहर की भूलभुलैया

विराट ने तेजी से अपनी बंदूक निकाली और चारों ओर देखा। "ये किसी का मजाक हो सकता है," उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में हल्की घबराहट थी।

रिया ने कंपकंपाते हाथों से अपनी मशीन को स्कैन मोड पर डाला। "यहाँ कोई रेडिएशन स्रोत नहीं दिख रहा, लेकिन..." उसने अचानक चुप्पी साध ली।

"लेकिन क्या?" अर्णव ने पूछा।

रिया ने धीरे से कहा, "हम यहाँ तक जिस रास्ते से आए थे, वह रास्ता अब है ही नहीं।"

तीनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और तेजी से बाहर की तरफ भागे। लेकिन जब वे बाहर निकले, तो उनके होश उड़ गए।

वह जंगल, जिससे वे यहाँ तक आए थे... अब वहाँ नहीं था।

उसकी जगह अब सिर्फ़ वही पुराना, भयानक शहर फैला हुआ था—अंतहीन गलियों और अजीब दिखने वाली इमारतों से भरा हुआ।

"ये कैसे हो सकता है?" अर्णव ने हैरानी से कहा।

"शायद ये सिर्फ हमारा भ्रम है," विराट ने कहा, लेकिन उसके शब्द खुद ही उसे झूठे लग रहे थे।

रिया ने अपनी घड़ी देखी—रात के 11:45 बजे थे। उन्होंने इस शहर में कदम रात 11 बजे रखा था। लेकिन घड़ी की सुई आगे बढ़ने की बजाय उल्टी चल रही थी।

"समय पीछे जा रहा है..." रिया फुसफुसाई।


अध्याय 2: तीन रास्ते, तीन रहस्य

"हमें इस जगह को अच्छे से समझना होगा," अर्णव ने कहा। "अगर यह कोई भ्रम है, तो हमें इसे तोड़ने का तरीका निकालना होगा।"

"हम अलग-अलग दिशाओं में चलते हैं," विराट ने सुझाव दिया। "अगर हम अलग-अलग जगहों की जांच करें, तो शायद हमें कोई सुराग मिल जाए।"

यह निर्णय लेना जोखिम भरा था, लेकिन उनके पास और कोई विकल्प नहीं था।

1. अर्णव - हँसते हुए आदमी का राज़

अर्णव एक सुनसान गली में घुसा। चारों ओर अंधेरा था, लेकिन कहीं दूर से किसी के हँसने की धीमी आवाज़ आ रही थी।

वह आगे बढ़ा और देखा कि एक बूढ़ा आदमी एक टूटी हुई कुर्सी पर बैठा हँस रहा था।

"क्या तुम फँस गए?" बूढ़े ने अपनी हँसी रोककर पूछा।

अर्णव ने सिर हिलाया। "यह शहर क्या है? और हम यहाँ से बाहर कैसे जा सकते हैं?"

बूढ़ा आदमी मुस्कुराया और धीरे से कहा, "तुम बाहर जा सकते हो... लेकिन सिर्फ अगर तुम भूल जाओ कि तुम कौन हो।"

अर्णव का दिल तेजी से धड़कने लगा। "मतलब?"

"यह शहर तुम्हारी यादों को खा जाता है। अगर तुम यहाँ ज्यादा देर रुके, तो तुम्हें याद भी नहीं रहेगा कि तुम कौन थे। और एक दिन, तुम भी इस शहर का हिस्सा बन जाओगे।"


2. विराट - बिना दरवाजे का कमरा

विराट एक पुरानी इमारत में दाखिल हुआ। अंदर अजीब सी ठंड थी। वह एक कमरे में घुसा और अचानक दरवाजा अपने आप बंद हो गया।

वह तेजी से दरवाजे की ओर भागा, लेकिन वहाँ अब कोई दरवाजा था ही नहीं।

"ये क्या बकवास है?" उसने अपने हाथों से दीवार टटोलनी शुरू की। लेकिन अब वहाँ सिर्फ़ ठोस पत्थर था।

फिर अचानक, कमरे के कोने में किसी के चलने की आवाज़ आई।

"कौन है वहाँ?" विराट ने ज़ोर से पूछा।

एक धीमी फुसफुसाहट आई—"तुम यहाँ अकेले नहीं हो..."

कमरे में अंधेरा और गहरा होने लगा। विराट ने महसूस किया कि कोई चीज़ धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रही थी।


3. रिया - परछाइयों का खेल

रिया एक खुले मैदान में पहुँची, जहाँ धुंध छाई हुई थी। उसने अपनी मशीन से जगह का स्कैन किया, लेकिन हर जगह अजीब विक्षेप (distortion) आ रहा था।

फिर अचानक, उसे अपने पीछे किसी के चलने की आहट सुनाई दी।

उसने मुड़कर देखा—एक परछाई थी। लेकिन कोई शरीर नहीं।

परछाई धीरे-धीरे पास आने लगी।

"ये विज्ञान के नियमों के खिलाफ़ है..." रिया बुदबुदाई।

परछाई ठहर गई।

फिर, जैसे किसी ने उसके कान में फुसफुसाया—"विज्ञान यहाँ काम नहीं करता, रिया..."


अध्याय 3: अब क्या होगा?

तीनों अपनी-अपनी जगहों पर बुरी तरह फँस चुके थे।

अर्णव को डर था कि अगर वह ज्यादा देर तक इस शहर में रहा, तो वह भूल जाएगा कि वह कौन है।

विराट बिना दरवाजे वाले कमरे में किसी अनदेखी ताकत के साथ फँस चुका था।

रिया के सामने एक ऐसी परछाई थी, जो विज्ञान के हर नियम को तोड़ रही थी।

और सबसे भयानक बात—उनकी घड़ियाँ अभी भी उल्टी चल रही थीं।

क्या वे इस शहर से निकल पाएंगे? या फिर वे भी इस शहर का हिस्सा बन जाएंगे?

(अगले एपिसोड में जारी रहेगा...)


अगला एपिसोड: "सच का सामना"
अब कहानी और भी खतरनाक मोड़ लेगी। क्या वे तीनों दोबारा मिल पाएंगे? या यह शहर उन्हें अलग-अलग कहानियों में बाँट देगा?

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