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शापित शहर – एपिसोड 10: क्या खेल को रोका जा सकता है?

 


पिछले एपिसोड में:

अर्णव और विराट ने खेल के असली निर्माता का सामना किया, लेकिन उन्हें एक चौंकाने वाली सच्चाई पता चली—खेल अब किसी के नियंत्रण में नहीं है। यह खुद एक जीवित सत्ता बन चुका है, और यह फैसला ले चुका है कि अर्णव और विराट अब इसका हिस्सा हैं।

अब सवाल यह है—क्या वे इसे रोक सकते हैं? या वे हमेशा के लिए खेल में फँस जाएँगे?


अध्याय 1: खेल के नियम बदल चुके हैं

"तुम कहना चाहते हो कि अब इस खेल को कोई नियंत्रित नहीं करता?" अर्णव ने घूरते हुए पूछा।

निर्माता मुस्कुराया। "बिल्कुल।"

"तो क्या यह कभी खत्म नहीं होगा?" विराट ने गुस्से से कहा।

"शायद नहीं... लेकिन शायद हाँ।"

"मतलब?"

निर्माता ने अपने हाथ उठाए। अचानक, उनके चारों ओर की ज़मीन हिलने लगी।

"अगर तुम सच में इसे खत्म करना चाहते हो, तो तुम्हें इसे उसकी जड़ से मिटाना होगा।"

"कैसे?"

निर्माता की आँखों में एक अजीब चमक आई।

"तुम्हें खेल के पहले खिलाड़ी को खोजना होगा।"


अध्याय 2: पहला खिलाड़ी कौन था?

अर्णव और विराट ने एक-दूसरे की ओर देखा।

"पहला खिलाड़ी?" अर्णव ने दोहराया।

निर्माता ने सिर हिलाया। "हर खेल की एक शुरुआत होती है। इस खेल की भी थी।"

"और वह पहला खिलाड़ी कहाँ मिलेगा?" विराट ने पूछा।

"खेल की जड़ में," निर्माता ने कहा। "वहाँ, जहाँ यह सब शुरू हुआ था।"

अचानक, ज़मीन फटी और उनके सामने एक विशाल गड्ढा बन गया। उसमें नीचे एक शहर जैसा कुछ दिख रहा था—लेकिन यह कोई साधारण शहर नहीं था।

"यह असली शहर है," निर्माता ने कहा। "जहाँ खेल की उत्पत्ति हुई थी।"


अध्याय 3: भुला दिया गया शहर

अर्णव और विराट उस गड्ढे में कूद गए।

जैसे ही वे नीचे पहुँचे, उन्होंने देखा कि यह शहर वैसा ही था जैसा उन्होंने खेल में देखा था—लेकिन यह कहीं अधिक पुराना और वीरान लग रहा था।

"यह... असली शहर है?" अर्णव ने आश्चर्य से कहा।

"हाँ," विराट ने कहा, "और हमें यहाँ पहला खिलाड़ी ढूँढना है।"

वे आगे बढ़े, और जल्द ही एक पुरानी इमारत के सामने पहुँचे। दरवाज़े पर एक नाम लिखा था—

"आर्यन मेहरा"

"क्या यह पहला खिलाड़ी था?" अर्णव ने सवाल किया।

"शायद," विराट ने कहा, "लेकिन हमें इसे साबित करना होगा।"

वे दरवाज़ा खोलकर अंदर दाखिल हुए।


अध्याय 4: एक खोई हुई डायरी

अंदर, सब कुछ धूल से ढका था।

एक टेबल पर एक पुरानी डायरी रखी थी। विराट ने उसे उठाया और पढ़ना शुरू किया—

"12 साल पहले, मैंने इस खेल को खेलना शुरू किया। मैं सिर्फ़ एक साधारण खिलाड़ी था, लेकिन फिर..."

"मुझे एहसास हुआ कि मैं बाहर नहीं निकल सकता।"

"और धीरे-धीरे, यह खेल मेरा सब कुछ निगलता चला गया।"

"अब मैं यहाँ अकेला हूँ। अगर कोई यह पढ़ रहा है, तो याद रखना—खेल को रोकने का सिर्फ़ एक ही तरीका है।"

"तुम्हें खुद को मिटाना होगा।"


अध्याय 5: सबसे बड़ा बलिदान

"मतलब?" अर्णव ने कहा।

विराट ने डायरी के आखिरी पन्ने को देखा। वहाँ एक नक्शा बना था—खेल के केंद्र का।

"हमें यहाँ जाना होगा," विराट ने कहा।

"लेकिन अगर डायरी सच कह रही है," अर्णव ने कहा, "तो इसका मतलब है कि हमें खुद को मिटाना होगा?"

"शायद नहीं," विराट ने कहा। "शायद कोई और रास्ता भी हो सकता है।"

"और अगर नहीं हुआ तो?"

विराट चुप हो गया।

उनके पास समय कम था।

खेल अब उन्हें हमेशा के लिए कैद करने वाला था... अगर वे सही फैसला नहीं लेते।


(अगला एपिसोड: "अंत की ओर")

क्या अर्णव और विराट इस खेल को हमेशा के लिए खत्म कर पाएँगे? या यह खेल उन्हें भी निगल जाएगा?

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